आज हो सकता है आपके घर में बड़े-बड़े एलइडी और एलसीडी टीवी होंगे, लेकिन क्या आपको याद है कि आपके घर में पहला टीवी कब आया था। वो दिन, जब आपके पिता जी या दादा जी ने आपके सामने एक बड़ा सा बॉक्स लाकर रख दिया हो, जिसे देखकर, पहले तो आपको समझ नहीं आया होगा कि वो क्या है। लेकिन बाद में थोड़े ही सही, लेकिन उसमें चलने वाले कई शो को देखने के लिए आप दिन-रात टीवी के सामने बैठे होंगे। आज जब हम, टीवी के इन्वेन्शन की याद में दुनियाभर में टेलीविजन डे मना रहे हैं, तो क्यों न टीवी से जुड़े नाइंटीज के दौर के कुछ भूले-बिसरे पलों को, दोबारा जिया जाए। क्या आपको याद है वो ब्लैक एंड व्हाइट टीवी का दौर, जब आपके फेवरेट टीवी शो के बीच कहीं, सिग्नल चला जाता था, तो उसे सेट करने के लिए अकसर कोई न कोई टीवी का एंटीना पकड़ कर घर की छत पर घंटों अटका रहता। यह वो समय था, जब न तो इंटरनेट था और न ही स्मार्टफोन और उस वक्त कम्प्यूटर और लैपटॉप जैसा, तो कुछ एग्जिस्ट ही नहीं करता था। चाहे इंडियन सीरीज मालगुडी डेज, अलिफ लैला, रामायण, महाभारत हो या फिर संडे के दिन नहा-धो कर शक्तिमान और द जंगल बुक सीरीज के मोग्ली का वेट करना हो। यह टीवी ही था, जो हमें हमेशा एंटरटेन किया करता था। लेकिन, क्या कभी आपके बच्चों ने कार्टून और आपके पति ने क्रिकेट के चक्कर में आपके फेवरेट शो- सास-बहु के एपिसोड मिस करवाए हैं? या फिर अपनी, बीवी के टीवी शोज के लिए, आपने खबरें सुनने के अपने शौक को कितनी बार कुर्बान किया है? सुबह जल्दी उठने में आलस, लेकिन अर्ली मॉर्निंग क्रिकेट मैच के लिए क्या आपने भी कभी अपनी नींद को दांव पर लगाया है? ब्लैक एंड व्हाइट ही सही, लेकिन सच में बहुत रंगीन थे वो लम्हें।
आज जब इस पुराने दौर को समेटे टेलीविजन को याद किया जा रहा है, तो क्यों न टीवी के ब्लैक एंड व्हाइट परदे से कलर्स तक के सफर का थोड़ा मुआयना कर लिया जाए। टीवी यानी टेलीविजन की existence साल 1927 में मानी जाती है, जब 21 साल के फिलो टेलर फार्नवर्थ ने दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन इन्वेंट किया था। किसे पता था कि एक लड़का, जो 14 साल तक खुद बिना बिजली के रहा, वो एक इलेक्ट्रॉनिक टीवी का आविष्कार कर देगा। उस वक्त भी, टेलीविजन कम्युनिकेशन और ग्लोबलाइजेशन का सिंबल बन गया, जो लोगों को हर इनफॉरमेशन प्रोवाइड करवाकर उन्हें एजुकेट करने लगा। टेलीविजन की अहमियत और इसकी बदौलत लोगों में बढ़ती अवेयरनेस को देखते हुए साल 1996 में, यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे घोषित किया। और तब से हर साल, यह दिन दुनियाभर में मनाया जाता है। इसके कुछ एक इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में हम आपको बताएं, तो 1982 में सोनी वॉचमैन दुनिया का पहला पॉकेट टेलीविजन था। आज टीवी Advertisement के जरिए मार्केटिंग का एक अच्छा सोर्स बन चुका है, लेकिन क्या आपको पता है कि 1 जुलाई, 1941 को न्यूयॉर्क में पहली टीवी Advertisement ब्रॉडकास्ट हुई थी। एक वो जमाना था, जब टीवी पर चैनल बदलने के लिए, हमेशा कोई न कोई टीवी के बिलकुल पास बैठा रहता था और दर्शकों की डिमांड पर चैनल बदलता। लेकिन आज बेड या सोफे पर बैठ कर, दूर से ही टीवी को कंट्रोल किया जा सकता है। शायद आपको पता हो कि पहला टेलीविजन रिमोट 1950 में जेनिथ ने डेवलप किया था। यूके का एक फनी किस्सा शायद आप लोगों ने भी सुना होगा, कि साल 2004 में, यूके का ऐसा हाल था कि वहां पर लोगों से, ज्यादा तो टेलीविजन थे।
हर साल वर्ल्ड टेलीविजन डे, अपनी इंपोर्टेंस और टीवी से एलईडी बनने के अपने सफर को बताने के लिए हमारे बीच आता है। आज एंटरटेनमेंट और दुनिया के साथ अपडेट रहने के लिए हमारे पास डिफरेंट ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं, लेकिन आज भी पुराने शो और रामायण, महाभारत जैसे कई एपिक के जरिए करोड़ों दर्शक टीवी से जुड़े हैं। हमारा इस वीडियो को बनाने का मकसद, आपको, अपने परिवार से जुड़े उन खास लम्हों से दोबारा जोड़ना था, जो सालों पहले आपकी जिंदगी की किताब में ब्लैक एंड व्हाइट स्याही से लिखे गए थे। द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सब को वर्ल्ड टेलीविजन डे की हार्दिक बधाई। ऐसा believe है कि एक एवरेज इंसान अपने जीवन के दस साल टीवी देखने में बिता देता है। अच्छा! आप अपने दिन के कितने घंटे- टीवी या फिर मोबाइल Phone पर बिताते हैं?